Jul 9, 2019

मुक्तक.. बरसात

मुक्तक



बे-ख्याली में यूँ ही खुद से एक वादा कर ली
अबसारों की बरसात से दूर रहने का वादा कर ली
मुस्तकिल सब्र में हैं बेबहा दफीना-
खास गुजिश्ता लम्हों से दूर रहने का वादा कर ली।
पम्मी सिंह 'तृप्ति'
(बेबहा- बहुमूल्य, दफीना- दबा खजाना, मुस्तकिल-अटल ,दृढ,अबसार-आँख)

चन्द किताबें तो कहतीं हैं..

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