Jan 18, 2017

क्या से आगे क्या ?

क्या से आगे क्या ?


क्या से आगे क्या ?

आक्षेप, पराक्षेप से भी क्या ?

विशाल, व्यापक और विराट है क्या

सर्वथा निस्सहाय नहीं है ये क्या

उपायो में है जबाब हर क्या का
,
छोड़ो भी..

प्रश्न के बदले प्रश्न को

लम्हो की खता वर्षो में गुज़र जाएगी..

पत्थरो को तराश कर ही बनती है,

जिन्दगी के क्या का जबाब.
         

चन्द किताबें तो कहतीं हैं..

दिल्ली प्रेस से प्रकाशित पत्रिका सरिता (फरवरी प्रथम) में छपी मेरी लेख "सरकार थोप रही मोबाइल "पढें। सरिता का पहला संस्करण 1945 में ...