Jan 28, 2019

मुक्त नज़्म







साहित्यिक पत्रिका "अर्य संदेश " विगत १० वर्षो से  
साहित्यिक क्षेत्र में नित्य  सलग्न हैं..
मेरी प्रकाशित रचना..

मुक्त नज्म

शाह सियासत उसूलों पर भी रंग बदलती है
निस्बत पत्थरों से रहमत का न तकाज़ा रखों,


निजाम- ए- शाह की जो बढ़ी बदकारियां
मुल्क के हालात पर आँखें खुली रखों,

सियासत गर वहशत, नफ़रत पर मुस्कराने लगे
आँखों में सवाल के संग मुठ्ठी ताने रखों,

दहकानों को मयस्सर नहीं दो जून के निवाले
इरादों  में ईमान, आँखों में पानी रखों,

सिलसिला शह और मात पर जारी रहेगी
मुन्सिफ़ के कशीदाकारी पर मुख्तारी रखों।
                             ©पम्मी सिंह'तृप्ति..



Jan 10, 2019

दोहे ..हिंदी दिवस








विश्व हिंदी दिवस

१०/०१/२०१९

विधा:दोहे..

विषय:हिंदी
१.
हिंदी के नित वंदन में,निहित हमारी जात।
सहज,शाब्दिक भाव में,व्यक्त करती हर बात।।
२.
स्वर-व्यंजन के योजन से,बनते मीठे बोल।
शब्द,लिपि के स्पंदन से, बनते ये अनमोल।।
३.
सबके अधरों पे बसी,मीठे इसके बोल।
संस्कृत संस्कृति में रची, गुण इसके अनमोल।।
४.

सूर स्वर की गागर हैं, रख लो इसका ध्यान।
साहित्य की सागर हैं, ले लो इसका ज्ञान।।

पम्मी सिंह'तृप्ति'
(दिल्ली)..✍

अनकहे का रिवाज..

 जिंदगी किताब है सो पढते ही जा रहे  पन्नों के हिसाब में गुना भाग किए जा रहे, मुमकिन नहीं इससे मुड़ना सो दो चार होकर अनकहे का रिवाज है पर कहे...