Oct 29, 2015

तलाश

 तलाश                                                                                            

स्वतंत्रता  तो उतनी  ही है  हमारी          
जितनी लम्बी बेड़ियों  की डोर 
हर इक ने इच्छा, अपेक्षा, 
संस्कारो और सम्मानो की 
सीमाए  डाल  रखी है,                                                         
तलाश  है उस थोड़े  से   आसमान की  
किसी ने कहीं देखा  है?
 वो इक आकाश  का  टुकड़ा               
जहाँ  हम  ही हम  हो,               
उन्मुक्ता, अधिकार मिली  सभी चराचर  को                      
फिर. ..                 
हमे  मांगना  ही क्यों   पड़ा               
क्यू   न हो ऐसा कि                            
 स्वतंत्रता सब की जरूरत बन जाए...                              
तलाश है उस थोड़े  से  आसमान की            
फिर..                           
उस वसुन्धरा की काया       
कुछ और  ही  होती     
तलाश है...                                                                
                          
                                          © पम्मी सिंह 'तृप्ति'.. 

(चित्र  गूगल  के  सौजन्य  से )


16 comments:

  1. प्रशंसनीय

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  2. प्रतिक्रिया हेतु आभार,sir

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  3. बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति।

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  4. बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति।

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  5. प्रतिक्रिया हेतू आभार, सर.

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  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" सशक्त महिला रचनाकार विशेषांक के लिए चुनी गई है एवं सोमवार २७ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  7. वाह!! स्वतंत्रता तो उतनी ही हे, हमारी जितनी लम्बी बेड़ियों की डोर,... पहली ही पंक्ति में आपने सब कुछ समाहित कर दिया,एक स्त्री की इच्छा उसकी उड़ने की गति , बेहतरीन लिखा पम्मी जी आपने ...!!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया..
      मर्म समझने के लिए आभार आपका..

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  8. आदरणीय पम्मी जी -- अपेक्षाओं की व्यर्थ बेड़ियों में बंधा शायद हर नारी मन इन भावों से होकर गुजरता है | बहुत ही सार्थक रचना -- सादर सस्नेह --

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  9. ब्लॉग अनुसरणकर्ता गैजेट लगाइये।

    सुन्दर।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया..

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  10. स्वतंत्रता की तलाश....
    फिर उस वसुन्धरा की काया कुछ और ही होती....
    वाह!!!
    अद्भुत चिन्तन
    लाजवाब अभिव्यक्ति...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया..
      मर्म समझने के लिए आभार आपका..

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